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अथो
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এইবাৰ
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এবার
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अगली बार
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बे खेबाव
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ଏଥର
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any longer
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फेरि
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இப்பொழுது
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ਹੁਣ
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હવે
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आता
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आतां
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ഇപ്പോള്
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తర్వాత
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मण्डल ९ - सूक्तं ३९
ऋग्वेद फार प्राचीन वेद आहे. यात १० मंडल आणि १०५५२ मंत्र आहेत. ऋग्वेद म्हणजे ऋषींनी देवतांची केलेली प्रार्थना आणि स्तुति.
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तूपर
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मण्डल १० - सूक्तं १७३
ऋग्वेद फार प्राचीन वेद आहे. यात १० मंडल आणि १०५५२ मंत्र आहेत. ऋग्वेद म्हणजे ऋषींनी देवतांची केलेली प्रार्थना आणि स्तुति.
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नक्षत्रजननशांतयः - व्रतोद्यापनविधिः
‘कृत्य दिवाकरः’ या ग्रंथाद्वारे शास्त्रोक्त पूजा पाठ कसे करावेत याचे ज्ञान मिळते.
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मण्डल ८ - सूक्तं ९१
ऋग्वेद फार प्राचीन वेद आहे. यात १० मंडल आणि १०५५२ मंत्र आहेत. ऋग्वेद म्हणजे ऋषींनी देवतांची केलेली प्रार्थना आणि स्तुति.
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इट
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अध्याय ३३२ - विषमकथनम्
अग्निपुराणात त्रिदेव – ब्रह्मा, विष्णु, महेश आणि सूर्य ह्या देवतांसंबंधी पूजा-उपासनाचे वर्णन केलेले आहे.
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मण्डल १ - सूक्तं १५७
ऋग्वेद फार प्राचीन वेद आहे. यात १० मंडल आणि १०५५२ मंत्र आहेत. ऋग्वेद म्हणजे ऋषींनी देवतांची केलेली प्रार्थना आणि स्तुति.
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मण्डल १ - सूक्तं २८
ऋग्वेद फार प्राचीन वेद आहे. यात १० मंडल आणि १०५५२ मंत्र आहेत. ऋग्वेद म्हणजे ऋषींनी देवतांची केलेली प्रार्थना आणि स्तुति.
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अथवा
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श्री रूद्राध्याय - अनुवाक पहिला
रूद्राध्याय पठण केल्याने श्री शंकराची कृपा होऊन, इच्छित सर्व कार्ये पार पडतात.
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रसहृदयतंत्र - अध्याय ११
प्रसिद्ध रसायनशास्त्री श्री गोविन्द भगवतपाद जो शंकराचार्य के गुरु थे, द्वारा रचित ‘रसहृदयतन्त्र' ग्रंथ काफी लोकप्रिय है।
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मण्डल १ - सूक्तं ५०
ऋग्वेद फार प्राचीन वेद आहे. यात १० मंडल आणि १०५५२ मंत्र आहेत. ऋग्वेद म्हणजे ऋषींनी देवतांची केलेली प्रार्थना आणि स्तुति.
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तृतीयाः पाद: - सूत्र १०
ब्रह्मसूत्र वरील हा टीका ग्रंथ आहे. ब्रह्मसूत्र ग्रंथात एकंदर चार अध्याय आहेत.
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now
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सप्तदशकाण्डः - १६ ते २०
पैप्पलादसंहिता
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क्षिप्त
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द्वितीयकाण्डः - ६६ ते ७०
पैप्पलादसंहिता
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षष्ठकाण्ड: - ११ ते १५
पैप्पलादसंहिता
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षष्ठकाण्ड: - ६ ते १०
पैप्पलादसंहिता
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तृतीयकाण्डः - २६ ते ३०
पैप्पलादसंहिता
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षष्ठकाण्ड: - २१ ते २३
पैप्पलादसंहिता
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सप्तमकाण्डः - २६ ते ३०
पैप्पलादसंहिता
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प्रथमकाण्ड - ५६ ते ६०
पैप्पलादसंहिता
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पञ्चमकाण्डः - ३१ ते ३५
पैप्पलादसंहिता
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मण्डल १ - सूक्तं १९१
ऋग्वेद फार प्राचीन वेद आहे. यात १० मंडल आणि १०५५२ मंत्र आहेत. ऋग्वेद म्हणजे ऋषींनी देवतांची केलेली प्रार्थना आणि स्तुति.
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फलहोम
सर्व पूजा कशा कराव्यात यासंबंधी माहिती आणि तंत्र.
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चतुर्थं ब्राम्हणम् - भाष्यं ३३
सदर ग्रंथाचे लेखक विष्णुशास्त्री वामन बापट (जन्म: पाऊनवल्ली-राजापूर तालुका, रत्नागिरी जिल्हा, मे २२, इ.स. १८७१; मृत्यू : डिसेंबर २०, इ.स. १९३२) हे महाराष्ट्रातील एक शांकरमतानुयायी अद्वैती, प्राचीन संस्कृत वाङ्मयाचे भाषांतरकार आणि भाष्यकार होते.
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पंचमः स्कन्धः - अथ द्वादशोऽध्यायः
’ श्रीमद्भागवतमहापुराणम्’ ग्रंथात ज्ञान, वैराग्य व भक्ति यांनी युक्त निवृत्तीमार्ग प्रतिपादन केलेला आहे, अशा या श्रीमद्भागवताचे भक्तिने श्रवण, पठन आणि निदिध्यासन करणारा मनुष्य खात्रीने वैकुंठलोकाला प्राप्त होतो.
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खण्डः ३ - अध्यायः ०६८
विष्णुधर्मोत्तर पुराण एक उपपुराण आहे. अधिक माहितीसाठी प्रस्तावना पहा.
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ऊनविंशति काण्डः - ३६ ते ४०
पैप्पलादसंहिता
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मण्डल १० - सूक्तं ९७
ऋग्वेद फार प्राचीन वेद आहे. यात १० मंडल आणि १०५५२ मंत्र आहेत. ऋग्वेद म्हणजे ऋषींनी देवतांची केलेली प्रार्थना आणि स्तुति.
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अथारण्यार्चिकः - तृतीया दशतिः
यज्ञ, अनुष्ठान आणि हवन संबंधीचे मन्त्र सामवेदात सांगितले आहेत. सर्व वेदांमध्ये हा सर्वात छोटा वेद आहे.
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भविष्यपर्व - सप्तदशाधिकशततमोऽध्यायः
महर्षी व्यासांनी रचलेला हा महाभारताचा पुरवणी ग्रंथ आहे.
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